Friday, November 13, 2009

दिवाली की रात

दिवाली की रात

दिवाली की वो रात ,
पूरी रौशनी की वो रात ,
नए पकवानों की रात ,
आतिशबाजियों की वो रात ,
सारा उत्साह ,
सिर्फ़ मेरी पाखी के साथ ,
नित नई परिपक्व बातें करती ,
रंगोली बनाती ,
अचानक पूछ बैठती ,
माँ ,
लक्ष्मी जी के तो सिर्फ़ दो ही पैर हैं ,
वो कितनों के घर जायेंगी आज ????????

9 comments:

M VERMA said...

मासूम प्रश्न, वाजिब भी

मनोज कुमार said...

achchha sawal.

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

नीलम जी,
मां विषय पर लिखी पंक्ति बहुत सुन्दर हैं
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

रश्मि प्रभा... said...

masumiyat me laga hoga ki bechari laxmi ji

KK Mishra of Manhan said...

बहुत खूब जी आप की लेखनी को मेरी शुभकामनयें

देवेन्द्र पाण्डेय said...

ऐसे ही मासूम प्रश्नों में ज़िंदगी की खूबसूरती छुपी है
आपने महसूस किया और हमें भी अपने आंनद में शरीक किया
इसके लिए शुक्रिया

neelam said...

devendra ji bahut bahut dhanyvaad aapko ,v sabhi anya blog ke saathiyon ko jo apni tippniyon ke maadhyam se hausla badha dete hain.

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब जी आप की लेखनी को मेरी शुभकामनयें

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब जी आप की लेखनी को मेरी शुभकामनयें