Thursday, October 30, 2008

जाले

जाले
एक महीने और तेईस दिन हो गए हैं
किस बात के ?
एक औरत के पुनर्जनम के
कैसे ?
ईश्वर ने शायद गलती से उसके पते पर यमराज भेज दिया था ,
फिर क्या हुआ ?
उसने उसकी बेटी को रोते हुए देखा ,
अपनी करुना को उफान पर आते हुए देख
चला गया वहाँ से
क्यों ?
क्योंकि वह भी एक मनुष्य है ,
मनुष्य कैसे किसी एक
की जान लेकर उसकी जान (बेटी)
कोतड़पता हुआ छोड़ सकता था ?
इतना निर्मम तो नही था वह
फिर ?
आज वह औरत ठीक हो गई है ,
और प्रकृति द्बारा निर्मित उन जालों को ,
साफ़ कर रही है जो लग गए हैं ,
घर की दीवारोंपर ,
संबंधों पर,
रिश्तों पर
अपने पुनर्जन्म की संध्या पर
दोस्तों ,
रिश्तेदारों ,
नन्हे दोस्तों ,
कुछ अनजान हमदर्दों को शुक्रिया कहती है ,
मन ही मन
और नही
भूलती उस यमराज को भी ,
जिसने एक बेटी को
उसकी माँ वापस कर दी
........... उसकी माँ वापस कर दी

Wednesday, October 15, 2008

पाखी -बड़ी होती मेरी बेटी

बड़ी होती मेरी बेटी

रोज सुबह तैयार होती

स्कूल को जाती

नए नए इनाम लाती

कभी तुनकती

कभी झगड़ती

मेरी बेटी ,

साथ में ,

अहसास दिलाती ,

की माँ बस ,

अब तुम थक -

गई हो ,

थोड़ा आराम करो ,

लाती हूँ ,चाय बनाकर ,

तुम्हारे लिए ,

चाय की चुस्कियों के ,

साथ ,अपनी नम कोरों को

पोंछती हूँ ,

और सोचती हूँ ,

क्यूँ

बड़ी होती है बेटी