Tuesday, September 14, 2010

नन्ही करामाती

वो नाजुक सी कली,
वो मिश्री की डली,
वो किस्से सुनाती
वो जब भी आती
दिल से आती
वो सब देखती
सब समझती
दुनिया की
कडवाहट और तल्खी
वो सिर्फ कहती
आँखों से अपनी
चलते हैं दूर कहीं ,
जहां हो बसती
परियां या शहजादी
हो सिर्फ जश्न और बाराती
वो थी हवा बासंती
या थी नन्ही करामाती