दिवाली की रात
दिवाली की वो रात ,
पूरी रौशनी की वो रात ,
नए पकवानों की रात ,
आतिशबाजियों की वो रात ,
सारा उत्साह ,
सिर्फ़ मेरी पाखी के साथ ,
नित नई परिपक्व बातें करती ,
रंगोली बनाती ,
अचानक पूछ बैठती ,
माँ ,
लक्ष्मी जी के तो सिर्फ़ दो ही पैर हैं ,
वो कितनों के घर जायेंगी आज ????????
9 comments:
मासूम प्रश्न, वाजिब भी
achchha sawal.
नीलम जी,
मां विषय पर लिखी पंक्ति बहुत सुन्दर हैं
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
masumiyat me laga hoga ki bechari laxmi ji
बहुत खूब जी आप की लेखनी को मेरी शुभकामनयें
ऐसे ही मासूम प्रश्नों में ज़िंदगी की खूबसूरती छुपी है
आपने महसूस किया और हमें भी अपने आंनद में शरीक किया
इसके लिए शुक्रिया
devendra ji bahut bahut dhanyvaad aapko ,v sabhi anya blog ke saathiyon ko jo apni tippniyon ke maadhyam se hausla badha dete hain.
बहुत खूब जी आप की लेखनी को मेरी शुभकामनयें
बहुत खूब जी आप की लेखनी को मेरी शुभकामनयें
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