बालिका वधू देखती ,
अन्याय के प्रति जागरूक होती ,
नित नए प्रश्न पूछती,
अवाक ,हैरान ,ठगी सी खड़ी मै
देखती उसे प्रति पल बड़ी होते ,
मेरी हर इच्छा का ध्यान रखते हुए ,
अपनी बातों को मानने को बाध्य करती ,
अपनी राह को प्रशस्त करती हुई ,भी
अभी इतनी बड़ी तो नही हुई है वो
जो देख पाये ,अपने आपको ,
मेरे ब-गैर ,मेरी छाया के ब-गैर
21 comments:
एक समसामयिक रचना है |
बधाई |
अवनीश तिवारी
नीलम जी आज पहली बार आपका ब्लॉग देखा और उसके माध्यम से आपकी बेटी
और आपकी लेखनी को भी ,बहुत अच्छा लगा |बडे होते बच्चो के प्रश्न कई बार
हमे सोचने पर मजबूर कर देते है और कई बार तो हमे जवाब भी नही मिलते |
अच्छी रचना के लिए बधाई....सीमा सचदेव
बहूत ही भावूक सवेंदनों से भरी कविता है।
nice!
कोमल भावनाओं को बहुत खूबसूरती से बयाँ किया है, बधाई।
बालिका वधू देखती ,
अन्याय के प्रति जागरूक होती ,
नित नए प्रश्न पूछती,
अवाक ,हैरान ,ठगी सी खड़ी मै
देखती उसे प्रति पल बड़ी होते ,
मेरी हर इच्छा का ध्यान रखते हुए ,
अपनी बातों को मानने को बाध्य करती ,
अपनी राह को प्रशस्त करती हुई ,भी
अभी इतनी बड़ी तो नही हुई है वो
जो देख पाये ,अपने आपको ,
मेरे ब-गैर ,मेरी छाया के ब-गैर
बहूत ही भावूक सवेंदनों से भरी कविता .....!
बहुत ही अच्छी कविता ......मुझे बहुत पसंद आयी ...
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
avineesh ji ,seema ji ,irshad ji ,kulwant ji,jaakir ji ,harqeerat
ji anilji
aap sabhi ka bahut bahut shukriya
mere blog par aane ka aur mere prayaas ko achcha bataane ke liye
samay-chakr ko bahut hi
saavdhaani se dekh, parakh kar
kahi hui ek rachnaa......
aapki jaagruktaa nazar aati hai . .
badhaaee . .. .
---MUFLIS---
... प्रभावशाली रचना।
anyay ke prati jagruk !
sundar !
hindyugm par 'NAMAMI RAMAM' SARVOTTAM LAGA MERA PRAYAS SARTHAK HUA . DHANYAVAD .
RAJ SINH 'raku'
ek ati pyaari rachna......aaj ke naam, oj se purn
भावप्रवण मर्मस्पर्शी रचना
बहुत सच कहा नीलम जी आपने...
बच्चे हमेशा हमारी स्नेह छाया में रहें ....हमारी आँखों का तारा ....हर माता -पिता का स्नेह इसी तरह उमड़ता है ..
सुन्दर लिखा !!!
मेरे ब्लॉग पर आपके पदचिन्हों का बहुत शुक्रिया !!!!
बहुत अच्छी और दिल को छूती हुयी कविता !
बधाई !
बेहद सुन्दर एव प्रभावशाली रचना.....आभार
जो देख पाये ,अपने आपको ,
मेरे ब-गैर ,मेरी छाया के ब-गैर
bahut khoob
bahut khoob.. achcha laga..padh kar
अच्छी कविता है नीलम जी---
-देवेन्द्र पाण्डेय
bahut hi khoobsurat....
सुन्दर एव प्रभावशाली रचना.....
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