याद आती है वो शाम ,जब पाखी उदास हमारे पास आती है ,और कहती है ,मम्मी हमे कोई pet , अपना काम करते हुए वापस मुड कर उनसे पूछा ये अचानक pet की फरमाइश कैसे बेटा ....................
मम्मी जरा इधर बैठो ,एक तो हम अकेले ,दूसरे तुम हमेशा कुछ काम में लगी रहती हो ,तो हमे खाली टाइम के लिए एक pet चाहिए ही चाहिए .अब तो पाखी की जिद ,कभी आँखों में आंसू भरकर कभी ,रोष के साथ ,तकरीबन एक सप्ताह बीत गया हम दोनों का यह सोचते -सोचते कि पाखी को कौन सा pet दिलाया जाए फ्लैट में dog न बाबा न बाबा,कुत्ते हमे पसंद नहीं एक बार हमारे प्यारे rabbit को खा गया था ,तब से अगर हमारा बस चलता तो हम दुनिया के सारे कुत्तों कि प्रजाति को ही ख़तम कर देते पर ,प्रकृति के नियम को तोडना ठीक नहीं सोच कर अपने आप को समझा लिया ,तो पाखी ने खुद ही बताया या सुझाया किbirds ,
अपनी सहेली से पता किया और सुन्दर सा पिंजड़ा खरीदा गया पहले फिर उनकी चिड़ियाँ हम दोनों को ही जानवर या पक्षियों को पिंजरों में देखना पसंद नहीं ,तो पाखी के पापा ने सोचा थोड़े दिन में जब इनका शौक पूरा हो जाएगा
तब इन्हें उड़ा
देंगे लिहाजा बहुत महंगी चिड़िया खरीदनी नहीं थी हलकी पीली और हरी रंग कि वो चिड़ियाँ 250 रुपये में खरीदी गयीं ।
पाखी ने उन्हें पीछे अपने साथ रख लिया ,कुछ जरूरी बातें पूछ कर हम घर आ गए ,पाखी के साथ खेलने वाले बच्चों का आने जाने का सिलसिला शुरू हुआ उन्हें देखने का पाखी व्यस्त हो गयी उन्हें खिलाने में ,उन्हें देखने में अब सर्दियों के दिन थे हम लोग इन बातों से अनभिज्ञ कि वो किस तापमान में रहती हैं (तब गूगल की सुविधा उपलब्ध नहीं थी )पाखी ने अगले दिन स्कूल जाने से पहले कई हिदायतें दी मम्मी इनका ध्यान रखना ,नीचे की ट्रे साफ़ कर देना और खाना और पानी बराबर रख देना .........................ओके बेटा
पाखी स्कूल गयी हमने सबसे पहले अपने नए मेहमानों का काम पूरा किया उसके बाद अपने घर के कामों में मशगूल हो गए .थोड़ी देर के बाद जैसे ही हमारी नज़र पिंजरे पर पड़ी तो ...................................
हमने फ़ोन करके पाखी के पापा को बताया की वो उनमे से एक चिड़िया तो मर गयी है अब ...................एक काम करते हैं पाखी के आने से पहले उसे हटवा देते हैं और पाखी के आने पर कह देंगे की वो गलती से पिंजरा खुला रहने से वो उड़ गयी ..............उसे दुःख नहीं होगा
नहीं तुम ऐसा कुछ मत करो ,मै तो पहले ही मना कर रहा था ,let her come and face this reality ,हम दुखी
मन से पाखी का इन्तजार करने लगे ,पाखी आते ही भागी पिंजरे के पास और एक शिथिल चिड़िया को देख कर ठिठक गयी ,जैसे मेरे पास कोई जादू की छड़ी हो उसे घुमाते ही वो चिड़िया उठ खड़ी होगीपर ऐसा तो न होना था और न ही हुआ .........................
पाखी की आँखों में आंसू मम्मी क्या हुआ उसे ?????????????
पता नहीं बेटा ....................
मम्मी अब वो अकेले कैसे रहेगी ,इसका क्या करेंगे ???????????
कई सारे अनुत्तरित सवाल वैसे ही थे .............
माली को बुलवा कर उस चिड़िया को बाहर निकलवा कर उसके एक जगह आर दफ़न करवा दिया
पाखी को थोडा वक़्त लगा वो वो उस अकेली बची चिड़िया की परवरिश में लग गयी ....................
शाम को उनके पापा के आने पर वो बड़े ही दुखी मन से" पापा वो चिड़िया क्यूँ मर गयी "
कोई बात नहीं हम दूसरी ले आयेंगे कह कर दिलासा दिया गया पाखी कोअगले दिन वो फिर चलते समय पहले अपनी चिड़िया रानी को बाय करने गयीं और फिर बाद में हमे .
थोड़ी देर बाद उस चिड़िया ने भी खाना -
पीना बंद कर दिया और धीरे धीरे पाखी के आने तक वो शिथिल होने लगी और मृत पाय सी होने लगी हमने पहले भी सुना था की चिड़िया अगर मर जाए तो दूसरी भी मर जाती पर इस बात को मन में ही रखा,
ये लोगों का बहम होगा यह सोचकर ,
पाखी के आने के कुछ देर बाद उस चिड़िया ने भी प्राण त्याग दिए और पाखी ने फूट -
फूट कर रोना शुरू कर दिया .............
सॉरी मम्मी आगे से हम कभी कोई pet
नहीं लायेंगे हमने कहा कोई बात नहीं पाखी को सामान्य होने के लिए जो भी समझ में आया वो किया ,
थोड़ी देर में वो उस घटना को भूल चुकी थी ............
शाम को उनके पापा को इशारा किया हमने की इस बारे उससे कोई बात नहीं करें ,
थोड़े दिनों में जब वो पूरी तरह सामान्य हो गयी तो उनके पापा ने चिढाने के लिए उनसे पूछा तुम तो बहुत मस्त लड़की हो अपनी चिड़ियों को इतनी जल्दी भूल गयीं सारी गलती तो तुम्हारी ही है पापा हम कह रहे थे की वो नीली वाली दिलवाओ ,
तुमने दिलवा दी न local brand ki birds
तो उन्हें तो मरना ही था .......................
अब पापा अवाक थे (
शायद वो भी समझ रहे थे कि पाखी अब सयानी हो रही है )
आज के लिए इतना ही ..............................