Sunday, October 25, 2009

पाखी वो देखो दूल्हा

बात उन दिनों की है ,पाखी ने कुछ अपने आस -पास की चीजों को जानना और समझना शुरू ही किया था ,नए -नए शब्दों से परिचित हो रही थी .पाखीहमारे साथ एक शादी में जा रही थी ,परिवार के मित्रों के कुछ बच्चे भी हमारे साथ थे .पाखी बहुत खुश थी ,उन बच्चों के साथ और हम खुश थे कि वो खुश है ,रास्ते में एक बारात जा रही थी,शादियों के मौसम में सड़कों से बारात का गुजरना मतलब सड़क थोडी देर के लिए अपनी ही मिलकियत मान लिया जाना होता है .दूल्हा सजा सवांरा ,(सजाते तो बकरों को भी बलि देने से पहले हैं )देखते ही उनमे से एक बच्चा

उत्साह से जोर से चीखा ,पाखी वो देखो दूल्हा ,पाखी को शायद इस तरह से सड़क पर हंगामा पहली बार देखने को मिल रहा था ,दोस्तों के साथ में होने से उनका उत्साह भी देखता ही बनता था .पाखी बड़े कौतुहल से उस जंतु को छोड़कर जो घोडे पे बैठा था ,सिर्फ़ घोडे को ही देखती रही ,पाखी कि निगाहें घोडे पर और हमारी सिर्फ और सिर्फ पाखी पर .बारात पीछे रह गई हम लोग आगे निकल गए .मेरी जिज्ञासा बेचैन थी कि कहीं पाखी ने आज एक ग़लत शब्द तो नही सीख लिया ,हमने अपनी बिटिया रानी से पूछा ,बेटा आपने दूल्हा देख लिया ?पाखी ने सहमति में सर हिलाते हुए कहा कि हाँ ,हमने पूछा तो फिर किसे कहते हैं दूल्हा ,जरा हमे तो बताओ ।

पाखी ने बड़ी मासूमियत से कहा horse को कहते है न मम्मी दूल्हा !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

20 comments:

SACCHAI said...

" bahut hi accha likha hai aapne "

badhai ho aapko

----- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

plz welcome on my blog

Unknown said...

स्वागत है
अभिवादन आपका !

amar barwal 'Pathik' said...
This comment has been removed by the author.
सागर नाहर said...

बिटिया के लिये घोड़ा अजूबा था ना कि दूल्हा... मजेदा रहा वाकया। कई बार बच्चे मासूमियत में ऐसी मजेदार बातें करते हैं कि बाद में भी हम उन्हें याद करने पर अकेले अकले मुस्कुरा उठते हैं।
॥दस्तक॥|
गीतों की महफिल|
तकनीकी दस्तक

amar barwal 'Pathik' said...

आपके शब्दों का चयन काफी अच्छा है बधायी स्वीकार करें

श्यामल सुमन said...

बच्चे की मासूमियत नजर भी होती खास।
भाव सहज ऐसा लगा फिर पढ़ने की प्यास।।

सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com

देवेन्द्र पाण्डेय said...

इसे संस्मरण कहूँ या लघु कथा ...जो भी हो पर है इतना रोचक कि पढ़कर अधरों पर मुस्कान आ ही जाती है और यही लेखन की सार्थकता है।
जब आप इतना अच्छा लिख सकती हैं तो फिर महीनों ब्लाग को सूना क्यों रखती हैं!! एकबात और... भावनाओं की अभिव्यक्ति जिस विधा में हो वही वही विधा अच्छी। जरूरी नहीं कि हम जबरदस्ती कविता लिखने के चक्कर में इतने अच्छे संस्मरण को भी लिखने से चूक जांय।

निर्मला कपिला said...

प्रसंग रोचक है। शब्दों का प्रवाह पाठक को बाँधे रखता है। अच्छा लिखती हैं शुभकामनायें। अगर वर्द वेरीफिकेशन हटा लें तो सब को कमेन्ट देने मे सुविधा रहेगी। धन्यवाद्

अजय कुमार said...

swagat aur shubhkamnayen

शशांक शुक्ला said...

बहुत अच्छा वृत्तांत है, इससे एक संदेश भी मिलता है कि बाल विवाह से बच्चों की मासूमियत को न छीना जाये

Unknown said...

dear dost bahut ....bahut khooob likha hai ...mere blog par bhi dastk dain.....


jai ho mangalmay ho

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan narayan

Yugal said...

बहुत अच्छा लेख है। ब्लाग जगत मैं स्वागतम्।

Chandan Kumar Jha said...

हा हा हा !!!! बहुत सुन्दर ।

manu said...

पाखी ने जो आखरी लाइन में कहा, वो पढ़ कर खुद बा खुद हंसी आ गयी,,,
और हम तो भूल भी गए थे,,के आपका एक ब्लॉग भी है,,,,
आये दिन ना सही,,कभी कभार लिख दिया कीजिये ,,,

जो भी है,,,
थक हार के घर लौटकर पहले ऊपर कविता पढ़ी...
तो लगा के थकावट और बढ़ गयी है,,,
अब ये निचे संस्मरण पढा,,,तो सारी थकान गायब हो गयी,,,

और इसका सारा क्रेडिट आपको नहीं पाखी को जाता है...
जियो बेटा ..
आर्शीवाद,,

डॉ. राधेश्याम शुक्ल said...

masoomiyat ka khoobsurat chitra.

neelam said...

आप सभी का बहुत -बहुत शुक्रिया .उम्मीद नहीं थी की इतना पसंद आएगा ,हमारे एक मित्र ने पूछा है कि क्या एक सच्ची घटना है ,अब हम उन्हें कैसे समझाएं
जी हाँ शत प्रतिशत सच्ची घटना है जनाब, यकीन कीजिये

रचना गौड़ ’भारती’ said...

नीलिमा जी
बच्ची की मासुमियत को सुंदर शब्दों में लिखा है आपने ।
बधाई ।

Pooja Anil said...

हा हा हा...... दूल्हा--- horse
वाकई बड़ा मजेदार किस्सा सुनाया आपने, अपने आप हंसी आ गयी .
अब तो पाखी बिटिया भी यह सुनकर हंसती होगी... :)
नीलम जी,
बहुत सरलता से आपने एक मासूम किस्से को सहेज कर रखा है, और वैसे ही मासूम शब्दों से हम तक पहुँचाया है, अब आगे भी लिखती रहियेगा.

Shanno Aggarwal said...

वाह! घोड़ा बन गया दूल्हा राजा
बज गया असली दूल्हे का बाजा.