Monday, January 12, 2009

मेरे ब-गैर

बालिका वधू देखती ,
अन्याय के प्रति जागरूक होती ,
नित नए प्रश्न पूछती,
अवाक ,हैरान ,ठगी सी खड़ी मै
देखती उसे प्रति पल बड़ी होते ,
मेरी हर इच्छा का ध्यान रखते हुए ,
अपनी बातों को मानने को बाध्य करती ,
अपनी राह को प्रशस्त करती हुई ,भी
अभी इतनी बड़ी तो नही हुई है वो
जो देख पाये ,अपने आपको ,
मेरे ब-गैर ,मेरी छाया के ब-गैर

21 comments:

अवनीश एस तिवारी said...

एक समसामयिक रचना है |
बधाई |


अवनीश तिवारी

सीमा सचदेव said...

नीलम जी आज पहली बार आपका ब्लॉग देखा और उसके माध्यम से आपकी बेटी
और आपकी लेखनी को भी ,बहुत अच्छा लगा |बडे होते बच्चो के प्रश्न कई बार
हमे सोचने पर मजबूर कर देते है और कई बार तो हमे जवाब भी नही मिलते |
अच्छी रचना के लिए बधाई....सीमा सचदेव

इरशाद अली said...

बहूत ही भावूक सवेंदनों से भरी कविता है।

Kavi Kulwant said...

nice!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

कोमल भावनाओं को बहुत खूबसूरती से बयाँ किया है, बधाई।

हरकीरत ' हीर' said...

बालिका वधू देखती ,
अन्याय के प्रति जागरूक होती ,
नित नए प्रश्न पूछती,
अवाक ,हैरान ,ठगी सी खड़ी मै
देखती उसे प्रति पल बड़ी होते ,
मेरी हर इच्छा का ध्यान रखते हुए ,
अपनी बातों को मानने को बाध्य करती ,
अपनी राह को प्रशस्त करती हुई ,भी
अभी इतनी बड़ी तो नही हुई है वो
जो देख पाये ,अपने आपको ,
मेरे ब-गैर ,मेरी छाया के ब-गैर

बहूत ही भावूक सवेंदनों से भरी कविता .....!

अनिल कान्त said...

बहुत ही अच्छी कविता ......मुझे बहुत पसंद आयी ...

अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

neelam said...

avineesh ji ,seema ji ,irshad ji ,kulwant ji,jaakir ji ,harqeerat
ji anilji

aap sabhi ka bahut bahut shukriya
mere blog par aane ka aur mere prayaas ko achcha bataane ke liye

daanish said...

samay-chakr ko bahut hi
saavdhaani se dekh, parakh kar
kahi hui ek rachnaa......
aapki jaagruktaa nazar aati hai . .
badhaaee . .. .
---MUFLIS---

कडुवासच said...

... प्रभावशाली रचना।

RAJ SINH said...

anyay ke prati jagruk !
sundar !

hindyugm par 'NAMAMI RAMAM' SARVOTTAM LAGA MERA PRAYAS SARTHAK HUA . DHANYAVAD .

RAJ SINH 'raku'

रश्मि प्रभा... said...

ek ati pyaari rachna......aaj ke naam, oj se purn

Divya Narmada said...

भावप्रवण मर्मस्पर्शी रचना

Ria Sharma said...

बहुत सच कहा नीलम जी आपने...
बच्चे हमेशा हमारी स्नेह छाया में रहें ....हमारी आँखों का तारा ....हर माता -पिता का स्नेह इसी तरह उमड़ता है ..

सुन्दर लिखा !!!

मेरे ब्लॉग पर आपके पदचिन्हों का बहुत शुक्रिया !!!!

प्रकाश गोविंद said...

बहुत अच्छी और दिल को छूती हुयी कविता !

बधाई !

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बेहद सुन्दर एव प्रभावशाली रचना.....आभार

M VERMA said...

जो देख पाये ,अपने आपको ,
मेरे ब-गैर ,मेरी छाया के ब-गैर
bahut khoob

Kavi Kulwant said...

bahut khoob.. achcha laga..padh kar

देवेन्द्र पाण्डेय said...

अच्छी कविता है नीलम जी---
-देवेन्द्र पाण्डेय

स्वप्न मञ्जूषा said...

bahut hi khoobsurat....

Meenu Khare said...

सुन्दर एव प्रभावशाली रचना.....